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बचपन भी कितना प्यारा था।⁠⁠⁠⁠

काग़ज़ की कश्ती थी पानी का किनारा था;
 खेलने की मस्ती थी ये दिल अवारा था;
 कहाँ आ गए इस समझदारी के दलदल में;
 वो नादान बचपन भी कितना प्यारा था।⁠⁠⁠⁠
बचपन भी कितना प्यारा था।⁠⁠⁠⁠ बचपन भी कितना प्यारा था।⁠⁠⁠⁠ Reviewed by hindijokesjunction on 1:14 AM Rating: 5

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