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मकर सक्रांति

काट ना सके कभी कोई पतंग आपकी;
टूटे ना कभी डोर विश्वास की;
छू लो आप ज़िन्दगी की सारी कामयाबी;
जैसे पतंग छूती है ऊँचाइयाँ आसमान की।
मकर सक्रांति मकर सक्रांति Reviewed by hindijokesjunction on 3:03 AM Rating: 5

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